भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) गर्वनर शक्तिकांत दास ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने हेतु तीन नए डिजिटल भुगतान पहल की शुरुआत की है। मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2022 में आरबीआई गर्वनर ने यूपीआई पर रुपे क्रेडिट कार्ड, यूपीआई लाइट और भारत बिलपे क्रॉस-बॉर्डर बिल पेमेंट सोल्यूशंस सेवा को लॉन्च किया है। ऐसा माना जा रहा है कि इन सेवाओं के शुरू होने के बाद तीस करोड़ और नए लोग डिजिटल पेमेंट के इस सिस्टम के साथ जुड़ सकेंगे। शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ग्राहकों की सुरक्षा के ध्यान में रखते हुए फिनटेक कंपनियों के इंनोवेशन को सभी प्रकार से सपोर्ट करने के लिए तैयार है।
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गुरुवार, 22 सितंबर 2022
RBI ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने हेतु तीन नए डिजिटल भुगतान पहल की शुरुआत की
रुपे क्रेडिट कार्ड के साथ यूपीआई लिंक से कस्टमर्स और मर्चेंट दोनों को लाभ होगा। क्यूआर कोड के माध्यम से कस्टमर्स क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर सकेंगे। रुपे क्रेडिट कार्ड वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) यानी यूपीआई आईडी से जुड़ा होगा। इस प्रकार सीधे एवं सुरक्षित भुगतान लेनदेन किया जा सकेगा। सबसे पहले पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक के ग्राहक BHIM ऐप के साथ UPI पर RuPay क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर सकेंगे।
छोटे वैल्यू का ट्रांजैक्शन बेहद सरल एवं आसान तरीके से यूपीआई लाइट के जरिए किया जा सकेगा। भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा 200 रुपये से कम वैल्यू वाले यूपीआई भुगतान किया जाता है। BHIM App पर यूपीआई लाइट के जुड़ जाने के बाद उपयोगकर्ता निकट- ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के लेनदेन कर सकेंगे। ये यूपीआई प्लेटफॉर्म पर एक दिन में एक अरब लेनदेन को हासिल करने में मदद करेगा। UPI लाइट भुगतान लेनदेन की ऊपरी सीमा 200 रुपये होगी जबकि डिवाइस पर वॉलेट के लिए UPI लाइट शेष राशि की कुल सीमा किसी भी समय 2,000 रुपये होगी।
आरबीआई गर्वनर ने इस वर्ष अप्रैल में मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा था कि विदेशों में रह रहे भारतीयों को अपने वतन में रह रहे परिवार के सदस्यों के बिल के भुगतान करने में आसानी के लिए बिल पेमेंट सिस्टम की शुरुआत की जाएगी। विदेशों में तीन करोड़ से ज्यादा भारतीय रह रहे हैं। भारत बिलपे क्रॉस-बार्डर बिल पेमेंट फैसिलिटी के शुरू होने के बाद गैर-प्रवासी भारतीय देश में परिवार के सदस्यों के बिजली से लेकर पानी का बिल और स्कूल फीस का भुगतान कर सकेंगे।
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, भारत के केन्द्रीय बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक, के सबसे वरिष्ठ बैंककर्मी होते हैं। 1935 में स्थापना के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक की कमान अब तक कुल 25 गवर्नर संभाल चुके हैं। रिज़र्व बैंक के पहले गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ थे और वर्त्तमान नवनियुक्त पूर्व वित्त सचिव व वित आयोग के वर्तमान सदस्य शक्तिकांत दास बनाये गये हैं, जिन्होंने 11 दिसंबर 2018 को पदभार ग्रहण किया। व रिजर्व बैंक के 25 वें गवर्नर बने हैं।
1. रिज़र्व बैंक को देश की ऋण प्रणाली को इसके लाभार्थ1 परिचालित करने हेतु सांविधिक अधिदेश है। इस प्रयास में, रिज़र्व बैंक ने वित्तीय प्रणाली, उत्पादों और ऋण वितरण पद्धतियों में नवोन्मेष को प्रोत्साहित किया है, साथ ही उनकी व्यवस्थित संवृद्धि सुनिश्चित की है, वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा है और जमाकर्ताओं और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। हाल ही में, ऋण उत्पादों के डिजाइन और वितरण तथा डिजिटल उधार2 के माध्यम से उनकी सर्विसिंग के नवीन तरीकों ने प्रमुखता प्राप्त की है। तथापि, कुछ चिंताएँ भी सामने आई हैं, जिन्हें यदि कम नहीं किया गया, तो डिजिटल उधार प्रदान वाले पारिस्थितिकी तंत्र में जनता का विश्वास कम हो सकता है। चिंता मुख्य रूप से तीसरी पार्टी का अनियंत्रित कार्य, गलत बिक्री, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दर लगाने, अनैतिक वसूली परिपाटियों से संबंधित है।
2 इस पृष्ठभूमि में, रिज़र्व बैंक ने 13 जनवरी 2021 को ‘ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल ऐप के माध्यम से ऋण देने सहित डिजिटल उधार’ पर एक कार्य दल (डब्ल्यूजीडीएल) का गठन किया था। डब्ल्यूजीडीएल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा गया था, जिस पर हितधारकों और जनता के सदस्यों की टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। विभिन्न प्रकार के हितधारकों से प्राप्त इनपुट को ध्यान में रखते हुए, विनियामक चिंताओं को कम करते हुए डिजिटल उधार पद्धतियों के माध्यम से ऋण वितरण के व्यवस्थित संवृद्धि का समर्थन करने के लिए एक विनियामक ढांचा तैयार किया गया है। यह विनियामक ढांचा इस सिद्धांत पर आधारित है कि उधार देने का कारोबार केवल उन संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है जिन्हें या तो रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है या किसी अन्य कानून के अंतर्गत ऐसा करने की अनुमति दी गई है
।
डिजिटल उधारदाताओं को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है–
ए) आरबीआई द्वारा विनियमित और उधार कारोबार करने की अनुमति प्राप्त संस्थाएं;
बी) अन्य सांविधिक/विनियामक प्रावधानों के अनुसार उधार देने के लिए अधिकृत संस्थाएं परंतु आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं;
सी) किसी भी सांविधिक/विनियामक प्रावधानों के दायरे से बाहर उधार देने वाली संस्थाएं।
रिज़र्व बैंक का विनियामक ढांचा आरबीआई की विनियमित संस्थाओं (आरई) और विभिन्न अनुमेय ऋण सुविधा सेवाओं को प्रदान करने हेतु उनके द्वारा नियुक्त ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी)3 के डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित है। जहां तक दूसरी श्रेणी [उपर्युक्त 3(बी)] में आने वाली संस्थाओं का संबंध है, संबंधित विनियामक/नियंत्रक प्राधिकारी डब्ल्यूजीडीएल की सिफारिशों के आधार पर डिजिटल उधार पर उचित नियम/विनियम बनाने या अधिनियमित करने पर विचार कर सकते हैं। तीसरी श्रेणी [उपर्युक्त 3 (सी)] में संस्थाओं के लिए, डब्ल्यूजीडीएल ने ऐसी संस्थाओं द्वारा की जा रही अवैध उधार गतिविधि को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विचार हेतु विशिष्ट विधायी और संस्थागत हस्तक्षेप का सुझाव दिया है।
4. उपरोक्त पृष्ठभूमि में, आरबीआई ने डब्ल्यूजीडीएल द्वारा की गई सिफारिशों4 की जांच की है। तत्काल कार्यान्वयन के लिए स्वीकृत सिफारिशें और परिणामी नियामक रुख अनुबंध-I के रूप में संलग्न हैं। आरई, उनके एलएसपी, आरई के डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए)5, आरई द्वारा लगे एलएसपी के डीएलए द्वारा पालन की जाने वाली आवश्यकताओं की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार
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