समास: परिभाषा भेद और उदहारण हिंदी व्याकरण खंड में महत्वपूर्ण विषय है जो टीईटी और शिक्षण भर्ती परीक्षा में आता है। समास विषय से प्रत्येक परीक्षा में 3-4 प्रश्न होते हैं जो निम्नलिखित प्रश्नों से संबंधित होते हैं अर्थात समास क्या है? समस के भेद? समास से आपका क्या तात्पर्य है? तत्पुरुष समास का क्या अर्थ है? यहाँ हम समास: परिभाषा भेद और उदहारण के बारे में अधिक जानने जा रहे हैं जो एक आसान विषय है.
समास परिभाषा
दो या दो से अधिक शब्दों के योग से नवीन शब्द बनाने की विधि (क्रिया) को समास कहते हैं। इस विधि से बने शब्दों का समस्त-पद कहते हैं। जब समस्त-पदों को अलग-अलग किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं।
समास रचना में कभी पूर्व-पद और कभी उत्तर-पद या दोनों ही पद प्रधान होते हैं, यही विधि समस्त पद कहलाती है; जैसे
हिन्दी में समास के छः भेद होते है
पूर्व पद उत्तर पद समस्त पद(समास)
शिव + भक्त = शिवभक्त पूर्व पद प्रधान
जेब + खर्च = जेबखर्च उत्तर पद प्रधान
भाई + बहिन = भाई-बहिन दोनों पद प्रधान
चतुः + भुज = चतुर्भुज(विष्णु) अन्य पद प्रधान
परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के मेल (योग) को समास कहते हैं। इस प्रकार एक स्वतंत्र शब्द की रचना होती हैं
उदाहरण- रसोईघर, देशवासी, चैराहा आदि।
हिन्दी में समास के छः भेद होते है-
अव्ययी भाव समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
द्वन्द्व समास
कर्मधारय समास
बहुब्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास –
इस समास में पहला पद अव्यय होता है और यही प्रधान होता है।
भरपेट – पेट भरकर।
यथा योग्य – योग्यता के अनुसार ।
प्रतिदिन – हर दिन ।
आजन्म – जन्म भर।
आजीवन – जीवनभर /पर्यन्त।
आमरण – मरण तक (पर्यन्त)।
बीचोंबीच – बीच ही बीच में
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार।
2. तत्पुरुष समास-
इस समास में प्रथम शब्द (पद) गौण तथा द्वितीय पद प्रधान होता है; उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। कारक तथा अन्य आधार पर तत्पुरुष के निम्न्लिखित भेद होते हैं-
(1) कर्म तत्पुरुष – को परसर्ग (विभक्ति कारक चिह्नों) का लोप होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
बसचालक बस को चलाने वाला
गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
माखनचोर माखन का चुराने वाला।
(2) करण तत्पुरुष – इसमें ‘से’, ‘द्वारा’ परसर्ग का लोप होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
मदांध मद से अंध।
रेखांकित रेखा द्वारा अंकित
हस्तलिखित हाथ से लिखित
कष्टसाध्य कष्ट से साध्य
(3) सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘को’ ‘के लिए’ परसर्ग को लोप होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
हथकड़ी हाथ के लिए कड़ी।
परीक्षा भवन परीक्षा के लिए भवन।
हवनसामग्री हवन के लिए सामग्री।
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह।
अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
जन्मान्ध जन्म से अंधा।
भयभीत भय से भीत ।
(5) सम्बन्ध तत्पुरुष– इसमें ‘का, की, के, और रा, री, रे’ परसर्गाें का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
घुड़दौड़ घोंडों की दौड़
पूँजीपति पूँजी का पति
गृहस्वामी गृह का स्वामी
प्रजापति प्रजा का पति
(6) अधिकरण तत्पुरुष – इसमें से कारक की विभक्ति में/पर का लोप हो जाता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
शरणागत शरण में आगत
आत्मविश्वास आत्मा पर विश्वास
जलमग्न जल में मग्न
नीतिनिपुण नीति में निपुण
3. द्विगु समास –
इस समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद उसका विशेष्य होता है जैसे-
समस्त पद विग्रह
चैराहा चार राहों का समाहार/समूह
त्रिभुवन तीन भुवनों का समूह
नवग्रह नौ ग्रहों का समाहार
त्रिवेणी तीन वेणियों का समाहार
4. द्वन्द्व समास–
इस समास में दोनों पद प्रधान होते है, तथा, और, या, अथवा आदि शब्दों का लोप होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
आय-व्यय आय और व्यय
माता-पिता माता और पिता
भीम-अर्जुन भीम और अर्जुन
अन्न-जल अन्न और जल
5. कर्मधारय समास –
इस समास में विशेषण का सम्बन्ध होता है। इसमंे प्रथम (पूर्व) पद गुणावाचक होता है। जैसे-
समस्त पद विग्रह
महात्मा महान् है जो आत्मा
स्वर्णकमल स्वर्ण का है जो कमल।
नीलकमल नीला है जो कमल
पीताम्बर पीला है जो अम्बर
कर्मधारय समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद में उपमेय-उपमान सम्बन्ध भी हो सकता है। जैसे-
समस्त पद उपमेय उपमान
घनश्याम घन के समान श्याम
कमलनयन कमल के समान नयन
मुखचन्द्र मुखीरूपी चन्द्र
6. बहुब्रीहि समास –
इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि समस्त पद किसी अन्य के विशेषण का कार्य करता है और यही तीसरा पद प्रधान होता है।
समस्त पद विग्रह
दशानन दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
चतुर्भुज चार है भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु
लम्बोदर लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश
चक्रपाणि चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु
नीलकंठ नील है कंठ जिसका अर्थात् शिव
विशेष- बहुब्रीहि समास में विग्रह करने पर विशेष रूप से ‘वाला, वाली, जिसका, जिसकी, जिसके’ आदि शब्द पाए जाते हैं अर्थात् विग्रह पद संज्ञा पद का विशेषण रूप हो जाता है।
कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अन्तर
कर्मधारय समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमेय और उपमान का सम्बन्ध होता है जबकि बहुव्रीही समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करती है।
उदाहरण-
नीलकंठ नीला है जो कंठ (कर्मधारय समास )
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव (बहुव्रीही)
पीताम्बर पीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
पीताम्बर पीला है अम्बर जिसका अर्थात् कृष्ण (बहुव्रीहि)
कर्मधारय समास और द्विगु समास में अन्तर
कर्मधारय समास में समस्तपद का एक पद गुणवाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है।
समस्त पद विग्रह
नीलाम्बर नीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
पंचवटी पाँच वटों का समाहार (द्विगु)
द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर
द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि बहुव्रीही समास में पूरा पद ही विशेषण का काम करता है।
उदाहरण-
समस्त पद विग्रह
त्रिनेत्र तीन नेत्रों का समूह (द्विगु समास)
त्रिनेत्र तीन नेत्र है जिसके अर्थात् (बहुव्रीहि)
Q1. (क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर समास का नाम भी बताइए- देशभक्ति, सद्धर्म, युद्धनिपुण, महावीर
(ख) ‘कमल के समान चरण’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।
उत्तर- (क)
देश की भक्ति – तत्पुरुष समास
सत् है जो धर्म – कर्मधारय समास
युद्ध में निपुण – तत्पुरुष समास
महान् है जो वीर – कर्मधारय समास
(ख) चरणकमल – कर्मधारय समास।
Q2. (क) निम्नलिखित में से किन्ही दो समस्त पद का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए- पुस्तकालय, नीलगमन, घुड़सवार, नीलगाय
(ख) ‘लोक में प्रिय’ का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए।
उत्तर- (क)
पुस्तकों का आलय – संबंध तत्पुरुष समास
नीला है जो गगन – कर्मधारय समास
घोड़े पर सवार – तत्पुरुष समास
नीली है जो गाय – कर्मधारय समास
(ख) लोक प्रिय – तत्पुरुष
Q3. (क) निम्नलिखित में से किन्ही दो समस्त पदों का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए- सिरदर्द, अंधकूप, पदच्युत, राहखर्च
(ख) ‘जन्म से अंधा’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।
उत्तर– (क)
सिर में दर्द – अधिकरण तत्पुरुष समास
अंध है जो कूप – कर्मधारय समास
पद से च्युत – अपादान तत्पुरुष समास
राह के लिए खर्च – सम्प्रदान तत्पुरुष समास
(ख) जन्मांध – तत्पुरुष समास
Q4. (क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर भेद लिखें- जलधारा, महाराजा, ध्याननमग्न, पीताम्बर
(ख) ‘कनक के समान लता’ का समस्त पद बनाकर समास को भेद लिखिए।
उत्तर- (क)
जल की धारा सम्बन्ध तत्पुरुष समास
महान् है जो राजा कर्मधारय समास
ध्यान में मग्न अधिकरण तत्पुरुष समास
पीताम्बर कर्मधारय समास
(ख) कनकलता – कर्मधारय
Q5. (क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए- ग्रंथरत्न, आरामकुर्सी, गुणहीन, यशप्राप्त
(ख) ‘हस्त से लिखित’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।
उत्तर- (क)
ग्रंथ रूपी रत्न – कर्मधारय समास
आराम के लिए कुर्सी – सम्प्रदान तत्पुरुष समास
गुण से हीन – अपादान तत्पुरुष समास
यश को प्राप्त – कर्म तत्पुरुष समास
(ख) हस्तलिखित – करण तत्पुरुष समास
mst
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